Sonia Jadhav

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हम तुम- भाग 19 अंतिम भाग

भाग 19- अंतिम भाग
आदित्य के भाई और भाभी भी मनाली से आ गए थे घूमकर। आदित्य ने उन्हें बताया कि मम्मी उसके साथ गईं थी अदिति से मिलने और उसे शगुन भी देकर आयीं है। शादी की तारीख 17 फरवरी की निकली है भाई। आकाश और नेहा बहुत खुश होते हैं यह सुनकर।

अगले दिन आदित्य, आकाश और नेहा के साथ चांदनी चौक जाकर शादी में पहनने के लिए शेरवानी खरीदता है। अदिति भी अपने मम्मी पापा के साथ जाकर शादी के लिए लहंगा और बाकि कपड़ों की शॉपिंग करती है।
कुछ दिन बाद आदित्य और अदिति दोनों घर के लिए फर्नीचर भी पसन्द कर आते हैं।

अदिति के पापा घर में सारा फर्नीचर लगवा देते हैं। आदित्य और अदिति की मम्मियाँ उनकी रसोई सेट कर देती है। अब आदित्य और अदिति को लग रहा होता है कि उनकी शादी होने वाली है। पूरा परिवार उनके साथ होता है सिर्फ आदित्य के पापा साथ नहीं होते हैं।

शादी में सिर्फ करीबी लोगों को ही निमंत्रण दिया होता है। आदित्य सुमित को फोन करता है रात को शादी में बुलाने के लिए पर सुमित फोन नहीं उठाता।
आदित्य और अदिति अगले दिन शाम को मिलते हैं। आदित्य अदिति को कहता है सुमित को फोन मिलाने के लिए, शादी में निमंत्रण देने के लिए।

सुमित अदिति का फोन झट से उठा लगता है। अदिति उसे कहती है कि 17 फरवरी को आदित्य और उसकी शादी है और वो चाहती है कि सुमित उनकी शादी में ज़रूर आए।

सुमित कहता है .... हाँ वो जरूर आयेगा। अच्छा आदित्य साथ है तो उसे फोन देना। कल उसका फोन आया था मुझे , लेकिन फोन साइलेंट पर होने के कारण मुझे पता नहीं चला।
आदित्य….हाँ बस कल शादी में बुलाने के लिए फोन किया था लेकिन तू ने उठाया नहीं। चल कोई बात नहीं तू 17 फरवरी को पहुँच जाना शादी में।

सुमित…..हाँ-हाँ ज़रूर आदि। मेरे दोस्त की शादी और मैं ना आऊँ, ऐसा कैसे हो सकता है। चल ठीक है तुम दोनों एन्जॉय करो, शादी में मिलते हैं। फोन रखते ही सुमित दीवार पर ज़ोर से मुक्का मारता है और आदित्य को गन्दी गाली देता है।
सुमित मन ही मन कहता है काश वो अदिति को पहले ही अपने दिल की बात बता देता तो आज अदिति का नाम सुमित के साथ जुड़ता, आदित्य के साथ नहीं।

इधर अदिति आदित्य से कहती है…. देखा कितनी अच्छी तरह बात की उसने, तुम बेकार में शक करते हो उंस पर।

आदित्य अदिति का हाथ पकड़कर कहता है तुम बहुत अच्छी हो, इसलिए तुम्हें सब अच्छे लगते हैं। लेकिन भोलू दुनिया इतनी सीधी नहीं है। पता नहीं क्यों उसे लेकर मुझे कुछ गलत लगता है अंदर से। चलो छोड़ो उसे, उसके बारे में बात करके मैं हमारा समय नहीं खराब करना चाहता।

अच्छा तुम्हें जिस भी नाम से बुलाता हूँ, उसी में तुम सिर हिला देती हो।
अदिति हँसते हुए कहती है….तुम्हारी सब कुछ मैं ही तो हूँ।

शादी को 2 दिन बचें हैं बस, कल से नहीं मिलूंगी और घर से अकेले बाहर भी नहीं निकलूंगी, मम्मी ने मना किया है।
आदित्य…….ठीक है फिर शादी में मिलते हैं। फोन करती रहना मुझे।

आदित्य अदिति को घर छोड़कर अपने घर चला जाता है। शादी की सारी तैयारियां हो चुकी होती हैं। अदिति के मम्मी पापा और आकाश ने मिलकर सारी तैयारियां कर चुके होते हैं।

आदित्य की आँखों से नींद कोसों दूर थी। अपने और अदिति के बारे में सोच रहा था। सिर्फ दो दिन बचे थे शादी में, उंसके बाद अदिति हमेशा के लिए उसकी हो जायेगी। अदिति का नाम, उसका प्यार उसे अपनी रगों में बहता हुआ महसूस होता था। आदित्य रोज़ इसी तरह सोता था अदिती को याद करता हुआ।

इधर अदिति भी आदित्य के बारे में ही सोच रही थी। आदित्य का उसे अलग-अलग नामों से बुलाना उसे बहुत अच्छा लगता है, मुँह में एक मिठास सी घुल जाती थी। उसने कभी सोचा नहीं था इतना खड़ूस लगने वाला लड़का उसे इतना प्यार करेगा।

वो भगवान का शुक्रिया अदा करती है आदित्य को उसकी जिंदगी में दुबारा लाने के लिए। ब्रेकअप के बाद उसने सोचा नहीं था कि आदित्य दुबारा उसकी जिंदगी में वापिस आयेगा और उसके लिए अपने माँ-बाप के खिलाफ जाने के लिए भी तैयार हो जायेगा।

अदिति को तड़प सी महसूस होती है आदित्य के लिए, उसे बहुत याद आ रही होती है उसकी। रात के 12 बज चुके होते हैं। वो आदित्य को फोन मिलाती है। आदित्य नींद में होता है, फोन उठाता ही कि फोन पर गाने की आवाज़ सुनाई देती है…..

" तू इजाज़त दे अगर
तुझसे थोड़ा प्यार मैं कर लूँ जानेजां
बैठ मेरे सामने
खाली दिल, खाली नज़र भर लूँ जानेजां
तेरा चेहरा जब नज़र आये"

गाना सुनते ही आदित्य की नींद भाग जाती है और हँसते हुए कहता है…..क्या हुआ रात को 12 बजे मुझे गाना क्यों सुना रही हो? नींद नहीं आ रही क्या?
अदिति…….रात के 12 बजे गाना जिसे सुना रही हूँ, वो पूछ रहा है गाना क्यों सुना रही हूँ वाह!
ठीक है चलो रखती हूँ, मुझे लगा तुम समझोगे मेरे दिल की बात। कोई बात नहीं सीधा शादी के दिन बात करेंगे।

आदित्य हँसते हुए कहता है , 2 दिन बाद मुझे जागना है ना, इसलिये नींद पूरी कर रहा हूँ, तुम भी अपनी नींद अच्छे से पूरी कर लो।
अदिति मुस्कुराने लगती है और कहती है….तुम अभी नींद पूरी करो और दो दिन बाद मैं नींद पूरी करुँगी।

आदित्य कुछ बोल ही रहा होता है कि तभी अदिति उसे रोकती है..…एक मिनट किसी का फोन आ रहा है। इस वक़्त किसका फोन आ सकता है?
आदित्य….फोन मत उठाना, ना दुबारा इस नंबर पर फोन करना। ये फोन नंबर मैसेज करो मुझे।

अदिति…….ये लैंडलाइन नंबर है आदित्य। एक दो दिन पहले भी किसी लैंडलाइन नंबर से फोन आया था दिन में लेकिन मैंने उठाया नहीं क्योंकि मैं कभी अंजान नंबर से फोन नहीं उठाती हूँ। वैसे मैं तुम्हें अभी नंबर भेज देती हूँ।

आदित्य…..ये तो अच्छी बात है अदिति कि तुम अंजान नंबर से फोन नहीं उठाती। हो सकता है गलती से आ गया हो। तुम परेशान मत हो। ज़्यादा कुछ हुआ तो नंबर बदलवा देंगे। ठीक है तुम फोन बंद करके आराम से सो जाओ अब।

अदिति को अलग-अलग लैंडलाइन नंबर से कई दिनों से फोन आ रहा होता है लेकिन वो आदित्य को सिर्फ एक-दो दिन से आ रहे फोन के बारे में ही बताती है इस डर से कि कहीं आदित्य परेशान ना हो जाये। वैसे ही आदित्य उसे लेकर काफी पोसेसिव है।
फिलहाल अभी तक तो कुछ परेशानी की बात नहीं है, बेकार में चिंता करने से तो बेहतर है थोड़ा सो लिया जाए अब।

अदिति और आदित्य यहाँ चैन से सोये होते हैं और वहाँ किसी की रातों की नींद उड़ गई होती है।


आदित्य सुबह ऑफिस चला जाता है क्योंकि शादी के लिए उसने 10 दिन की छुट्टी ली होती है। आदित्य ने शादी में सिर्फ अपने खास दोस्तों को बुलाया होता है। उधर अदिति के यहाँ भी उसके कुछ खास दोस्त, मासी और मामा के परिवार को बुलाया होता है। उसके पापा एकलौती संतान थे अपने माता पिता की और दादा दादी को गुजरे कई साल हो चुके थे।

अदिति के घर शादी से एक दिन पहले संगीत और मेहँदी की रस्म होनी थी। लेकिन आदित्य को अपने घर से ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी। आदित्य ने 16 फरवरी को पापा को बता दिया था कि 17 फरवरी को उसकी शादी है।
पापा ने कहा…… मुझे तेरे और उस लड़की के बारे में जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है, जो करना है कर। बैग लेकर जाना अपना शादी करने के लिए और फिर इस घर में लौटकर मत आना।

आदित्य की आँखों में आंसू आ जाते हैं यह सुनकर।

अपने बेटे की आँखों में आंसू देखकर आदित्य की मम्मी को उसके पापा पर गुस्सा आ जाता है और वो कहतीं है…..सगा बेटा है आपका, सौतेला नहीं है जो उसके साथ ऐसा व्यवहार कर रहें है आप।
आदित्य के पापा बिना कोई जवाब दिए गुस्से से बाहर चले जाते हैं यह कहकर कि वो रात को देर से लौटेंगे।

आदित्य की मम्मी और उसकी भाभी नेहा उसका मनपसन्द खाना बनाते हैं आज। आकाश भी बाहर से जाकर गुलाबजामुन ले आता है खाने के लिए।

आदित्य गुमसुम सा अपने बिस्तर पर लेटा होता है और धीमी आवाज़ में आँखें बंद करके गाने सुन रहा होता है।
तभी आकाश आता है आदित्य को  खाने के लिए बुलाने के लिए।

आदित्य जैसे ही टेबल पर बैठता है खाने के लिए, देखता है कि पूरा टेबल मम्मी और भाभी ने उसके मनपसन्द खाने से सजा रखा था। साथ में गुलाबजामुन भी थे मीठे में। गुलाबजामुन देखकर उसे अदिति की याद आ जाती है और सोचता है मेरा गुलाबजामुन इस वक़्त मेहँदी लगवा रहा होगा।

नेहा पूछती है आदित्य कैसा लगा सरप्राइज तुम्हें?
बहुत अच्छा भाभी। थैंक यू मम्मी और आपका मेरा मनपसन्द खाना बनाने के लिए।
मम्मी की आँखों में आंसू देखकर आकाश कहता है आज ख़ुशी का दिन है कोई नहीं रोयेगा, चलो सब साथ मिलकर खाना खाते हैं।

खाना खाकर आदित्य अपने कमरे में जा ही रहा होता है कि नेहा टोकती है….इतनी जल्दी सोने को नहीं मिलेगा आज। चलो बाहर बैठो थोड़ी देर हमारे साथ। आकाश गाने लगा देता है डांस वाले और सब मिलकर खूब डांस करते हैं। थोड़ी देर बाद नेहा मेहँदी ले आती है और आदित्य के दोनों हाथों में लिख देती है…आदित्य की अदिती।
फिर अपने हाथों में और मम्मी के हाथों में मेहँदी लगाती है। आकाश सब कुछ जल्दी-जल्दी समेटता है और पापा के घर आने से पहले सब अपने-अपने कमरों में सोने चले जाते हैं।

आदित्य बहुत खुश होता है आज, बार-बार अपने हाथों में अदिति का नाम देख रहा होता है। अब उसे लग रहा होता है कि सही मायनों में उसकी शादी हो रही है।

आदित्य कमरे में सोया हुआ होता है तभी धीरे से आकाश, नेहा और मम्मी आते हैं सुबह 4 बजे उसको उठाने के लिए। फिर उसे नीचे बिठाते हैं, मम्मी कुछ गढ़वाली में उनके कुलदेवता नरसिंह से आदित्य और अदिति के सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती है।

तीनों मिलकर आदित्य को हल्दी लगाते हैं। आदित्य की आँखों में आँसू होते हैं यह सब देखकर। उसकी मम्मी डांटती है और कहती है आज ख़ुशी का दिन है, भगवान मेरे आदित्य को हमेशा खुश रखे। आदित्य हल्दी लगने के बाद नहाने जाता है।

फिर मंदिर में सबके साथ बैठकर पूजा करता है और सबके पाँव छूकर उनका आशीर्वाद लेता है। सुबह 6 बजे तक हल्दी की रस्म पूरी करके सब अपने-अपने कमरे में सोने चले जाते हैं। सब काम इतनी ख़ामोशी से होता है कि आदित्य के पापा को कानों कान खबर नहीं लगती। वो वैसे ही रात को देर से आये होते हैं इसलिए देर तक सो रहे होते हैं।

सुबह नाश्ते के लिए नेहा पूरी आलू बनाती है और मम्मी सूजी का हलवा।
सभी चुपचाप बिना बात किए नाश्ता करते हैं। आदित्य के पापा पूछते हैं…..और दूल्हे राजा शादी कितने बजे है?
आकाश कहता है शाम 6 बजे का मुहूर्त है। मैं 4 बजे निकल जाऊँगा अपना बैग लेकर।

पापा…..अच्छा है, कहकर अपने कमरे में चले जाते हैं। रात को वो अपने दोस्त महिपाल जोशी के घर गए थे। महिपालजी ने उन्हें काफी समझाया कि जमाना बदल गया है और उन्हें ज़माने के साथ बदलना चाहिए। लड़की पढ़ी लिखी है, नौकरी करती है और क्या चाहिये। आदित्य भी समझदार जवान लड़का है, उसकी पसन्द पर भरोसा रखना चाहिये।
आदित्य के पापा का दिल भी कहीं ना कहीं पिघल रहा होता है लेकिन उनका अहंकार बीच में आ रहा होता है बार-बार। इसलिए वो चुप ही रहते हैं।

आदित्य घर से निकलते वक़्त पापा के पाँव छूता है और कहता है आपके आशीर्वाद के बिना मेरी ख़ुशी अधूरी रहेगी।
आदित्य के पापा कुछ कह नहीं पाते।

आदित्य जा रहा होता है तो आकाश कहता है रुक हम भी आ रहे हैं तेरे साथ। नेहा और मम्मी भी तैयार खड़े होते हैं आदित्य की शादी में जाने के लिए।
यह देखकर आदित्य के पापा कहते हैं जब सब जा रहे हैं तो मैं क्यों रहूँगा अकेला घर में। मैं भी साथ चलता हूँ।

आदित्य की एक ही बुआ होती है और एक ही मामा होते हैं। उसके पापा आनन फानन में दोनों के परिवारों को आदित्य की शादी का न्यौता दे देते हैं। वो लोग भी परेशान कि इतनी जल्दी कैसे पहुंचेंगे लेकिन अच्छी बात यह होती है कि बुआ और मामा घर के पास ही रहते होते हैं।

घर से निकलकर सब मंदिर जाकर भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। आकाश ने घोड़ी और बैंड बाजे वाले पहले से ही बुक कर रखे थे जिसका आदित्य को कोई अंदाजा नहीं था।
खूब धूमधाम से आदित्य की बारात निकलती है। सुमित और बाकि दोस्त खूब नाचते हैं। अदिति के मम्मी पापा को बहुत ख़ुशी होती है आदित्य को अपने पूरे परिवार के साथ देखकर।
अदिति के मम्मी पापा बहुत अच्छे से सभी बारातियों का स्वागत करते हैं और आदित्य के पापा का शुक्रिया अदा करते हैं शादी में आने के लिए।

आदित्य के पापा खुश हो जाते हैं समधी-समधन से मिलकर। बहुत ही अच्छा अरेंजमेंट किया होता है शादी का। उन्हें यह सोचकर ख़ुशी होती है आदित्य के ससुराल वाले गिरे-पड़े लोग नहीं है।

आदित्य स्टेज पर बैठा होता है। क्रीम कलर की शेरवानी में उसका गोरा रंग और भी चमक रहा होता है। थोड़ी देर में अदिति को लेकर उसकी मम्मी और मासी स्टेज पर आते हैं। अदिति गुलाबी रंग के लहँगे में बहुत सुंदर लग रही होती है, मेकअप बहुत हल्का किया होता है क्योंकि आदित्य को ज़्यादा मेकअप पसन्द नहीं होता।

पहले दोनों एक दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं, फिर जयमाला होती है। तभी आदित्य के दोस्त गाना लगा देते हैं और सब मिलकर तालियां बजाते हैं और गाते हैं….

"ये ज़मीं रुक जाए
आसमाँ झुक जाए
तेरा चेहरा जब नजऱ आए"

अदिति और आदित्य के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट फैल जाती है। बाकि सभी हैरान होते हैं आखिर आदित्य के दोस्त यह गाना क्यों गा रहे हैं?

तभी आदित्य के दोस्त कहते हैं…..सारा समय आदित्य ऑफिस में यही गाना गुनगुनाता है। आकाश हँसकर कहता है….यही गाना तो यह घर में भी रोज़ रात को सुनता है।
अदिति के बॉस कहते हैं ... इस गाने को सुनने की शुरुवात मेरे ऑफिस से ही हुई थी जब आदित्य मेरे यहाँ काम करता था। अब जाकर समझ में आ रहा है आदित्य का बार-बार इस गाने को सुनने का कारण।
अदिति शर्म से नजरें नीचे झुका लेती है और आदित्य के होंठों पर मुस्कान होती है।

सुमित का इतने प्यार भरे माहौल में दम घुट रहा होता है। वो झूठी मुस्कान लिए स्टेज पर जाता है और उन्हें शादी की शुभकामनाएं देकर वहाँ से जल्दी निकल जाता है।

कुछ देर बाद उनके फेरे होते हैं। आदित्य अदिति की माँग में सिन्दूर भरता है और गले में मंगलसूत्र पहनाता है। सबके आशीर्वाद से उनकी शादी सम्पन्न होती है। आदित्य की मम्मी और उसकी भाभी नेहा उनके नए फ्लैट में जाकर गृह प्रवेश की तैयारी करते हैं। गढ़वाली रीति रिवाज के साथ अदिति का गृह प्रवेश होता है।
अदिति के मम्मी पापा उसी वक़्त घर में सत्यनारायण की पूजा भी करवा देते हैं उनकी।

आदित्य के पापा जाते वक़्त अदिति को आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं जब भी तुम्हारा मन करे तुम अपने घर में रहने आ सकती हो।
आदित्य अपने पापा के गले लग जाता है जिससे उसके पापा काफी भावुक हो जाते हैं।

आकाश जाते वक्त आदित्य के हाथ में एक लिफाफा देकर जाता है जिसके ऊपर मेक माय ट्रिप लिखा होता है।
आदित्य पूछता है ये क्या है?
आकाश कान में धीरे से कहता है तेरी शादी का गिफ्ट, केरल की टिकट्स है, परसों सुबह की फ्लाइट है।
आदित्य के पास शब्द नहीं होते, वो बस आकाश को कसकर गले से लगा लेता है।

आदित्य के परिवार के जाने के बाद अदिति के मम्मी पापा उन्हें नये जीवन की शुभकामनाएं देकर चले जाते हैं।

सबके जाने के बाद दोनों थककर सोफे पर पसर जाते हैं।
आदित्य अदिति का हाथ पकड़ता है और उसकी आँखों में देखते हुए गुनगुनाने लगता है….

"बैठ मेरे सामने तुझको थोड़ा प्यार
मैं कर लूँ जाने जां,
आसमाँ झुक जाए
तेरा चेहरा जब नजऱ आये"

आदित्य अदिति के होंठों पर अपना प्यार रख देता है और उंसके कान में धीरे से कहता है….मेरा गुलाबजामुन बहुत मीठा है। यह सुनकर अदिति आदित्य के सीने में छिप जाती है।

इस तरह आदित्य और अदिति के वैवाहिक जीवन की सुखद शुरुवात होती है।

नोट: उम्मीद करती हूँ यह कहानी पाठकों को पसन्द आयी होगी। अदिति और आदित्य की कहानी को पढ़ने के लिए सभी पाठकों का दिल से आभार।🙏🙏

❤सोनिया जाधव


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2 Comments

रतन कुमार

31-Jan-2022 12:46 AM

बहुत अच्छी थी अदिति की कहानी बहुत पसंद आई आगे भी कोई कहानी है क्या आपकी

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Arjun kumar

24-Jan-2022 12:44 PM

Nice

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